कैसे करें लू से बचाव

शंकर दत्त

हमारा शरीर एक निश्चित तापमान में साम्य संतुलन में रहता है, जिसे हम शरीर का प्राकृतिक तापमान भी कहते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार मानव शरीर का प्राकृतिक तापमान 37.5 डिग्री सेल्सियस रहता है जो 98.6 डिग्री फारेनहाइट के बराबर होता है। अगर शरीर का तापमान इससे अधिक बढ़ता है तो हमारे शरीर का आंतरिक तंत्र ‘होमियोस्टैसिस‘ उसे वापस इसी प्राकृतिक तापमान पर लाने की कोशिस करता है। विषय विशेषज्ञ बताते हैं कि अधिकतम तापमान जिस पर मनुष्य जीवित रह सकता है वह 108.14 डिग्री फारेनहाइट या 42.3 डिग्री सेल्सियस है।

शरीर में आंतरिक परेशानी या बाहर के वातावरण में अत्यधिक गरमी के कारण जब हमारा शरीर प्राकृतिक या अधिकतम तापमान को नियंत्रित करने मे सफल नहीं रहता, तब शरीर में परेशानी उत्पन्न होने लगती है। अगर ये शरारिक परेशानी जैसे मतली, चक्कर आना, सिरदर्द और मांसपेशियों में ऐंठन के साथ-साथ, हीटस्ट्रोक से गर्म, शुष्क, लाल त्वचा और भ्रम, दौरे और चेतना की हानि आदि बाहरी वातावरण में अत्यधिक गर्मी के कारण हो रहा है तो ये लू लगने के लक्षण हो सकते हैं। लू लगना वो स्थिति है, जो शरीर में गर्मी और बढ़ते तापमान की वजह से उत्पन्न होती है। इस दौरान हमारे शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है। बाहरी तापमान और गर्म हवा की वजह से शरीर ठंडा नहीं हो पाता और शरीर का तापमान 106 डिग्री फेरनहाइट या इससे भी ज्यादा हो जाता है

तापमान के बढ़ने की वजह और गर्म हवाओं की वजह से तो लू लगती ही है, लेकिन इसके कई अन्य कारण भी होते हैं, जैसे चिलचिलाती धूप में निकलना, शरीर में पानी की कमी, एयरफ्लो का अभाव यानी गर्म व ऐसी जगहों पर काम करना जहां हवा कम हो और भीषण आग के निकट रहना आदि।

लू से बचाव के लिए हल्के रंग के कपड़े पहनें जो हवा के प्रवाह के लिए ढीले हों। टोपी पहनें या छाता साथ रखें। शरीर के खुले भागों को भीगे कपड़े से पोंछते रहें। पूरे दिन खुद को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों से हाइड्रेट रखें। यह पानी या स्वस्थ पेय या यहां तक कि ओआरएस का घोल भी हो सकता है। अत्यधिक गर्मी आपके इलेक्ट्रोलाइट्स को खत्म कर सकती है जिससे निर्जलीकरण और हीटस्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है। यदि आप बाहर काम कर रहे हैं, तो अधिकतम रोकथाम के लिए 1-2 लीटर अतिरिक्त पानी या स्वस्थ तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट युक्त पानी पीना सुनिश्चित करें। अपने मूत्र के रंग पर नजर रखें। गहरे रंग के मूत्र का मतलब है कि आपके शरीर में कम तरल पदार्थ हैं और हल्के रंग का मूत्र आपके शरीर में तरल पदार्थ के अच्छी मात्रा में जमाव को दर्शाता है। कैफीन और शराब के उपयोग से बचें क्योंकि ये आपके शरीर से तरल पदार्थ निकाल देते हैं। लू के लक्षण दिखने पर चिकित्सा सहायता के लिए नजदीकी डॉक्टर से परामर्श लें।
लेख में दिए गए आकडे इंटरनेट से लिए गए है।

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