सल्ट में बदहाल पेयजल व्यवस्था

विजय, ग्राम प्रधान, थला

📌 अल्मोड़ा जिले के सल्ट विकासखंड में विगत चार महीनों से पानी की भारी किल्लत, पेयजल विभाग नहीं कर पाया पेयजल की आपूर्ति।
📌 प्राकृतिक स्रोतों के साथ-साथ वैकल्पिक व्यवस्था भी फेल।
📌 मुख्य बाजार जालीखान, मोलेखाल, शशिखाल, हिनोला में पानी के लिये हाहाकार।
📌 ग्रामीणों को लाना पड़ रहा 10 से 15 किलोमीटर दूर से पानी।
📌 असफल रहा स्वच्छ भारत मिशन, पानी की किल्लत से खुले में जाना पड़ा शौच।
📌 प्राकृतिक स्रोत, गाढ़-गधेरे नौले-धारों का पानी भी सूखा, पंपिंग योजना फेल।

सल्ट ब्लॉक में वल्ला सल्ट के मुख्य बाजारों के साथ-साथ लगभग 100 से ज्यादा गावों में इस बार पेयजल की भारी समस्या है। विगत वर्षों से इस वर्ष गर्मी कुछ ज्यादा है, जिसकी वजह समय पर बारिश का न होना है। विगत वर्षों में गर्मी में सल्ट के अधिकतर क्षेत्रों में तापमान 32 से 36 डिग्री सेन्टीग्रड के बीच रहता था। वहीं रचनात्मक बाल मंचों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार अधिकतम तापमान 40 से 41 डिग्री सेन्टीग्रड के बीच रहा। जिसका असर सीधे-सीधे जल स्रोतों पर दिखा।

जिन गांवों के प्राकृतिक स्त्रोत आज तक नहीं सूखे वे भी इस बार की भीषण गर्मी में सूख गये। जिस वजह से गांव में पेयजल की भारी समस्या हुई। लोग अपनी निजी गाड़ियों में 10 से 15 किलोमीटर दूर से पानी लाने को मजबूर रहे। इन गर्मियों में शहरों से भी भारी मात्रा में लोग, अपने परिवार के साथ बरातों, जागरी, धुणी, वर्क फ्रॉम होम की छुट्टियां लेकर गांवों की ओर आए। पर पानी की किल्लत और बिजली की काटौती से परेशान होकर छुट्टियाँ खत्म होने से पहले वापस शहरों की ओर जाने के लिए मजबूर हुए।

गुलार-करगेत पेयजल योजना हो या शशिखाल-कोटेश्वर पंपिंग योजना जो विगत 15 वर्षों से बनने से लेकर आज तक अपनी जीर्ण शीर्ण स्थिति में ही है, वो भी बाजारों और गांवों में पेयजल की पूर्ति नहीं कर पाए। जल संस्थान द्वारा लगाए गए पेयजल टैंकर भी मुख्य बाजारों में ही पेयजल की किल्लत को कुछ हद तक दूर कर सकेे। पर सोचने वाली बात यह है कि जो गांव रोड से 3 से 5 किलोमीटर दूरी पर हैं उनका क्या? जगह-जगह सड़कों में लगे हेड पंप भी इस बार की गर्मी को झेल नहीं पाएं और सूखते दिखाई दिए।


उत्तराखंड सरकार को इस समस्याओं के समाधान के लिए गंभीर रूप से सोचना पड़ेगा। वर्तमान में जिस तरह से पेयजल संकट की समस्या दिख रही है, आने वाले समय में पानी की समस्या और भी

विकराल रुप दिखाएगी। उत्तराखंड सरकार को पेयजल से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए पंचायतों के माध्यम से मृदा एवं जल संरक्षण के कार्य प्राथमिकता के आधार पर लेने चाहिए जिससे पेयजल की समस्याओं को दुरुस्त किया जा सके। साथ ही ग्राम समुदायों को प्राकृतिक स्रोतों के रिचार्ज के लिए चाल-खाल निर्माण, भूमि संरक्षण कार्य, प्लांटेशन कार्य, और कृषि कार्य के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग टैंकों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर कार्य करने चाहिए। जिससे भविष्य में पेयजल संबंधित संकट को दूर किया जा सके।

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