श्रमयोग पत्र ब्यूरो
आज देहरादून में उत्तराखण्ड में जंगल की आग विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में बोलते हुए वक्ताओं ने कहा कि पिछले कुछ वर्षाें से उत्तराखण्ड में जंगल की आग निरन्तर मानव व वन्य जीवों की जान ले रही है। साथ ही जंगलो को भारी नुकसान हो रहा है। इन वर्ष भी जंगल की आग ने कई लोगों की जान ली है, आजीविका नष्ट कर दी है और जैव-विविधता पर कहर बरपाया है। वक्ताओं ने कहा कि जंगल की आग हर वर्ष पहले से अधिक विनाशकारी होती जा रही है।
कार्यशाला में उत्तराखण्ड के अलग-अलग जिलों से आये हुए प्रतिभागियों ने वनाग्नि को लेकर अपने-अपने जिलो के अनुभव साझा किये। कार्यशाला में सभी इस बात पर सहमत थे कि वनाग्नि के विषय पर दीर्घकालीन कार्य करने की आवश्यकता है। इसके लिए सभी उपस्थित सहभागियों ने वन भूमि जन मंच के गठन का निर्णय लिया। तय किया गया कि अलग-अलग जिलों की परिस्थितियों को समझने लिए आगामी तीन माह तक जिला स्तर पर संवाद कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। साथ ही वनाग्नि से बचाव के लिए राज्य सरकार की मौजूदा नीति का अध्ययन करते हुए राज्य में अन्य जन संगठनों के साथ मिलकर लोक वन नीति तैयार की जायेगी व सरकार पर लोक वन नीति को लागू करने के लिए दवाब बनाया जाऐगा। कार्यशाला का आयोजन ठौर द दून हाट में किया गया। कार्यशाला में रेनू ठाकुर, नन्दिनी आर्या, विनिता शाह, हीरा जंगपांगी, मुन्नी देवी बिष्ट, डाॅ0 रवि चैपड़ा, डाॅ0 बृजमोहन शर्मा, त्रिलोचन भट्ट, ईशान अग्रवाल, अनिल मैखुरी, द्वारिका प्रसाद सेमवाल, अरून सरकार, अजय कुमार, विक्रम नेगी इत्यादि ने प्रतिभाग किया। संचालन भुवन पाठक ने किया।