भारतीय शिक्षा प्रणाली के सामने चुनौतियाँ

आसना

3 दिसम्बर 2018 को अपने एक प्रस्ताव के द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दुनिया में शान्ति और विकास के लिए शिक्षा की भूमिका को बढ़ावा देने के लिए हर साल 24 जनवरी को अन्तराष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने का निर्णय लिया। इस वर्ष ‘स्थायी शांति के लिए सीखना’ की थीम पर अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया गया। भारतीय स्कूली शिक्षा प्रणाली दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी शिक्षा प्रणाली है। इसमें 15 लाख स्कूल, 26.5 करोड़ छात्र और 25 लाख शिक्षक शामिल हैं। उच्च शिक्षा स्तर पर लगभग 43796 काॅलेज, 2113 विश्वविद्यालय और 11296 स्टैड अलोन संस्थान हैं। जिनमें 15.6 लाख संकाय सदस्य और 4.14 करोड छात्र है। वर्तमान समय में भारतीय शिक्षा प्रणाली कई चुनौतियों का सामना कर रही है।

हालांकि हमारे देश में अब पहले की अपेक्षा स्कूल जाने वालों की संख्या बढी है। पर हमें यह सोचना होगा कि हमारा लक्ष्य क्या है? शिक्षा के क्षेत्र में सिर्फ एक संख्या प्राप्त करना कि कितने बच्चे स्कूल जा रहे हैं या फिर जितने बच्चे स्कूल जा रहे हैं उन सभी बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्राप्त करवाना। हम संख्या के मामले में खुशी मनाना चाहते हैं तो हमें जरूर मनानी चाहिए। मगर लक्ष्य उचित गुणवता युक्त शिक्षा देने का है तो उसके लिए अभी काफी मेहनत करने की जरूरत है। अच्छी शिक्षा के लिए अभी भी भारत के बहुत से बच्चे संघर्ष कर रहे हैं।

जिन्हें लगता है कि शिक्षा व्यवस्था मे सब ठीक चल रहा है। उन्हें देश के ग्रामीण एवं शहरों के स्लम क्षेत्रों में घूमना चाहिए। सत्त विकास लक्ष्यों में चौथा लक्ष्य गुणवता युक्त शिक्षा ही है। अगर शिक्षा व्यवस्था का हाल मौजूदा वक्त की तरह रहा तो 2030 तक हम हर बच्चे तक अच्छी शिक्षा के लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर पायेंगेें। देश के लिए एक अच्छा भविष्य सुनिश्चित करने के लिए बच्चों को अच्छी गुणवतायुक्त शिक्षा प्रदान करवाना हमारी सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिये।

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