शंकर दत्तश्रमयोग एक गैर-लाभकारी लोक संस्थान है। श्रमयोग में हम, पिछले 12 वर्षों से स्थानीय समुदायों के साथ कार्य कर रहे हैं। वर्तमान में हम उत्तराखंड के अल्मोड़ा व पौड़ी जिले में 125 गावों में लगभग 1500 परिवारों के साथ जुड़े हैं। इन वर्षों में हमने 125 गावों में महिलाओं व बच्चों को समुदाय आधारित संगठनो में आने के लिए प्रेरित किया है। इसका परिणाम यह है की आज इन गावों में महिलाओं के 150 से अधिक स्वयं सहायता समूह हैं। इन समूहों ने मिलकर ब्लॉक स्तर पर अपना एक बड़ा संगठन रचनात्मक महिला मंच बनाया है, जो यहाँ सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए कार्य कर रहा है। वर्तमान में मंच में 1000 से अधिक सदस्य हैं। मंच अपने संचालन के खर्च सदस्यता शुल्क और जरुरत पर महिलाओं द्वारा जमा की गई सहयोग राशि से करता है।आर्थिक विकास हेतु श्रमयोग ने अपने कार्यक्षेत्र में मंच के साथ मिलकर स्थानीय कौशल एवं संसाधनों को आधार बनाकर पारम्परिक खेती को एक नई दिशा दी है। आज यहाँ के कृषि उत्पाद बाजार में श्रम-उत्पाद के नाम से उपलब्ध हैं। उत्तराखण्ड सरकार ने इस उपलब्धि के लिए रचनात्मक महिला मंच के किसानो को ‘किसान-श्री’ सम्मान ‘से सम्मानित भी किया है।
श्रमयोग संस्थान स्थानीय शासन व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए भी लगातार प्रयास कर रहा है। हम राज्य सरकार द्वारा स्थापित सेन्टर फॉर पब्लिक पॉलिसी एण्ड गुड गवर्नेन्स के साथ राज्य में मॉडल जीपीडीपी, बीपीडीपी व डीपीडीपी बनाने की प्रक्रिया में शामिल रहे हैं। श्रमयोंग में ‘पंचायत प्रतिनिधियो को निरन्तर पंचायती राज के सम्बन्ध में प्रशिक्षित किया जाता है। आज मंच की कई सदस्याएं पंचायतों में चुनकर सराहनीय कार्य कर रही है। वर्ष 2019 में मंच की लगभग 50 सदस्याएं पंचायती चुनावों में चुनकर आयी हैं।हमारे कार्यक्षेत्र में मंच व श्रमयोग के प्रयास से स्थानीय लोगो के श्रमदान और आर्थिक सहयोग से यहाँ के विलुप्त होते प्राकृतिक जल स्रोतो को पुनः जीवित किया गया है। बागवानी विभाग की मदद से हर वर्ष लगभग 100 फलदार पौधों का रोपण किया जाता है व पॉली हाउस जैसी तकनीकि को भी अजमाया जा रहा है। सामूहिक खेती के प्रयोग हो रहे हैं। लगभग 1000 परिवार अपने सगवाड़ो से सब्जियाँ प्राप्त कर रहे हैं। बीजों के लिये मंच द्वारा बीज कोष स्थापित किया गया है।वैज्ञानिक चेतना विकसित करने हेतु बच्चों के बाल मंचों के साथ सूक्ष्म मौसम केन्द्रों की स्थापना के हमारे अनुभव अद्भुद हैं। यहाँ बच्चे वर्षा और तापमान का रिकॉर्ड रखते है। इस गतिविधि से बच्चो में पर्यावरण के प्रति सवेंदनशीलता बड़ी है।यहाँ श्रमयोग पत्र के नाम से एक मासिक अखबार भी निकलता है। यह सामुदायिक समाचार पत्र है। पर्वतीय उत्तराखण्ड के गाँवों में रहने वाले बच्चे व महिलायें, जिनकी जिन्दगी में अखवार पहले कभी शामिल नहीं रहे वे श्रमयोग पत्र के पत्रकार हैं और निरन्तर पत्र में लिख रहे हैं। पत्र के माध्यम से विशेषकर महिलाओं की न सुनी जा सकने वाली आवाज अब मुखरता से लोगों के बीच आ रही है। जुलाई 2023 में इस पत्र को 100वां अंक निकला है। इस पत्र के माध्यम से हम लगातार अपने साथियों एवं सहयोगियों के संपर्क में रहते हैं।ये पूरा कार्य स्वयंसेवको की एक छोटी सी समर्पित टीम कर रही है। इन सब गतिविधियों को करने हेतु हमने अब तक ‘कही से कोई आर्थिक अनुदान नहीं लियां है। ये समर्पित टीम सोशियल रिसर्च, सर्वे और अपने कौशल आधारित कार्य कर संस्था क लिए संसाधन जुटाती है। इसी से टीम का मानदेय और कार्यक्रमों का क्रियान्वयन होता है। हमारी टीम कई राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं के लिए अपनी सेवाए देती है। हमारे यहाँ देश और विदेश से विद्यार्थी इंटर्नशिप हेतु पहुँचते हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय, कुमाऊं विश्वविद्यालय, गढ़वाल विश्वविद्यालय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, आईआईएम, वगेनिंग यूनिवर्सिटी नीदरलैंड, एमआईटी यूएसए, स्वीडन एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी आदि से विद्यार्थी यहाँ आते हैं। हमने अब तक ग्राम स्तरीय नियोजन, पीआरए, पंचायती राज, आजीविका सम्वर्धन, एक्शन रिसर्च जैसे विषयों पर अलग-अलग जगहों पर 5000 •से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया है।हमारा कार्य पूरी तरह वैकल्पिक पद्धतियों पर आधारित है। बहार से आने वाले शोधार्थी हम से एक सवाल जरूर करते हैं कि ये मॉडल चल कैसे रहा है। हमारा ‘एक ही जवाब होता है ‘समर्पित टीम ही इसका आधार है।’पिछले 12 वर्षों में हमने सीखा है कि ‘एक कार्यकर्ता का विजन केंद्रित होना कितना जरूरी है। हमने सीखा है कि भागीदारी से अधिक समुदाय की सक्रीय भागीदारी महत्वपूर्ण है। हमने सीखा कि लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रक्रिया को सशक्त करना ही जरूरी है। इसी तरह के हमारें बहुत से अनुभव हैं जो एक समर्पित टीम को बनाये रखने के लिए जरूरी हैं। हम प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से अपने अनुभव साझा करना चाहते है। जिसके लिये हमारे मॉड्यूल तैयार हैं।