ग्रामीण भारत से साक्षात्कार

शंकर दत्त
देश – भारत, राज्य- बिहार, जिला- दरभंगा, ब्लाक- किरतपुर, पंचायत- तरवारा, गांव- झगरूव-तरवारा।
वजह – आजीविका संवर्धन हेतु चलाऐ जा रही एक परियोजना का प्रभाव जानने हेतु परिवार स्तर पर वार्तालाप।
उत्तदाता – गौरा देवी
शंकर – मेरा नाम शंकर दत्त है। मैं देहरादून का रहने वाला हूं। आपने सुना है। उत्तराखण्ड, देहरादून के बारे में।
गौरा देवी – नहीं
शंकर – ये हरिद्वार के पास है।
गौरा देवी – ………………..?
शंकर – आपको पता है। आपके यहां पर बकरी और खेती-बाड़ी वाली परियोजना चल रही है।
गौरा देवी – हां
शंकर – आप समूह में है।
गौरा देवी – हां
शंकर – कौन सा समूह है आपका ?
गौरा देवी – ………………….?
शंकर – आप महिने में कुछ पैसा जमा करती है।
गौरा देवी – हां, लक्ष्मी समूह
शंकर – आपके घर में कौन-कौन है?
गौरा देवी- तीन बच्चे और पति
शंकर – खेती करते है, आप?
गौरा देवी – हां
शंकर – कितनी जमीन है, आपकी?
गौरा देवी – जमीन नहीं है।
शंकर – तो खेती कैसे करती है।
गौरा देवी – जिनकी जमीन है उनकी खेती करते है।
शंकर – आपको क्या मिलता है।
गौरा देवी – काम के दिन 50रू रोजाना और एक टाइम खाना।
शंकर – कितने दिन काम मिलता है।
गौरा देवी – क¨ई ठीक नहीं।
शंकर – आपके पास बिल्कुल भी जमीन नहीं है।
गौरा देवी – नहीं साहब, छप्पर भी जमींदार के खेत में डाली है। बरसात में बच्चों को लेकर किसी के घर पर सो जाते है।
शंकरः – जानवर है आपके पास कोई गाय, भैंस या बकरी।
गौरा देवी – नहीं।
शंकर – संस्था वालो ने जो बीज दिया था कहां लगाया।
गौरा देवी – एक पड़ोसी को दे दिया।
शंकर – पति क्या करते है, आपके?
गौरा देवीः- कुछ नहीं करता सर, पहले दिन भर शराब पीता था, अब ताड़ी पी कर झूमता है।
शंकर – कुछ कमाता नहीं?
गौरा देवी – नहीं साहब जी। बस बच्चों को और मुझे मारे नहीं उतना हीं बहुत, समूह में भी आने से मारता है।
शंकर – फिर खाना कैसे पूरा होता है?
गौरा देवी – जब कुछ काम मिलता है तो कर लेती है। कभी बच्चा सामान ढो देता है।
शंकर – बच्चा कितना बड़ा है? जो सामान ढोता है।
गौरा देवी – 9 साल का
शंकर – अरे बच्चा स्कूल नहीं जाता?
गौरा देवी – जाता है, जब काम मिल जाता है तो घर पे ही रोक लेती हंू।
शंकर – गांव वाले मदद करते हंै?
गौरा देवी – करते है, साहब
शंकर – गांव के मुखिया भी मदद करते हैं?
गौरा देवी – हां साहब! करते है। सूत पर पैसा देते हंै।
शंकर – दिन में कितने समय खाना मिल जाता है।
गौरा देवी- कोई ठिकाना नहीं। कभी एक, कभी दो, कभी तो भूखे ही सो जाते हंै।
शंकर – कल क्या खाया था आपने?
गौरा देवी – कल तो चावल का रस दिया दीदी ने वो ही पिया था। आज चावल और चोखा खाया।
शंकरः- आपको तो बड़ी परेशानी है। ऐसा कब तक रहेगा, अपने पति को समझाओ।
गौरा देवी- बस साहब, लड़का 12 का हो जाय तो बाहर चले जाय काम पर। फिर ठीक हो जायेगा। अब तो वही सहारा है।
शंकरः- ………………………?
गौरा देवीः- ठीक हैं, साहब मैं चलती हूँ, बच्चे को तीन दिन से बुखार है। उनके लिए दवा देखती हूँ। शंकर -……………………..?

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