अच्छा व्यवहार, आचार और आहार दे पाॅली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम को मात

डाo वन्दना आजकल की भागदौड भरी, तनावपूर्ण, व्यस्त जिन्दगी के कारण हमारे जीवन जीने, खान-पान के तारीकों में काफी बदलाव आ गया है । इस नई लाइफस्टाइल के चलते हम अक्सर अपने स्वास्थ्य का सही तरह से ध्यान नहीं रख पाते हैं । कैरियर का, जॉब का, स्टेटस आदि के टेशन से हमारे खान-पान में परिवर्तन आ चुका है । जिसके कारण कई तरह की समस्याएं हो जाती हैं । और उन स्वास्थ्य समस्याओं में से आजकल एक है PCOS (पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) या PCOD (पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर)हमारे बदलाव और तनाव भरे जीवन जीने के तरीके के कारण आजकल हर दस में से एक महिला को PCOS या PCOD होता है। पहले जो बीमारी 30-35 साल (उम्र) के बाद महिलाओं में देखी जाती थी । वह अब लगभग 20 साल की उम्र में भी काफी आम समस्या हो गई है ।इसका कोई मूल व ठोस कारण पता नहीं चला है । लेकिन इसका तनाव से सीधा सम्बन्ध है । इसके अलावा ये जेनेटिकली (वशानुगत) भी होता है । ज्यादा वजन होने पर भी इसके होने की संभावना बढ़ जाती है । यह एक ऐसी समस्या है जो आमतौर पर रिप्रोडक्टिव (प्रजनन) उम्र की महिलाओं में हॉर्मोनल असंतुलन के कारण पाई जाती है । इसमें महिला के शरीर में पुरुष हॉरमोन “androgens” का लेवल बढ जाता है व ओवरी पर एक से ज्यादा सिस्ट हो जाते हैं । समय पर इलाज नहीं करवाने पर गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है ।लक्षण – इस समस्या को जानने के लिए सबसे पहले हमें इसको पहचानना जरूरी है, उपाय से पहले बीमारी की पहचान कैसे होगी । यह जानना महत्वपूर्ण है । तो आईए जानते है कि इसको पहचाना कैसे जा सकता है । और इसके लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं, जिससे की आप इसे सही समय पर जान कर इसका सही तरीके से इलाज करवा सकें और अपने गर्भ को स्वस्थ्य रख सकें । इसका सबसे पहला लक्षण हैं अनियमित मासिक धर्म। कई लडकियों को मार्सिक धर्म के आने से पहले कुछ समस्याएँ होती हैं तो उससे बचने के लिए अगर वो अनियमित रहें तो कई लोग प्रसन्न रहते हैं कि हर महीने परेशान नहीं होना पड़ेगा पर इस अनियमितता को हल्के में न लें चाहे लडकी हो या शादी शुदा महिला अपनी महावारी की अनियमता का कारण अवश्य खोजें । यह अनियमता किसी बड़ी बीमारी का संकेत हो सकता है । चेहरें पर बाल आना इसका दूसरा सबसे बड़ा लक्षण है। male hormone का लेवल बढ़ जाने से शरीर और चेहरे पर बालों की growth बढ़ जाती है, मूहासे बहुत ज्यादा होना, संभोग इच्छा में अचानक से कमी आ जाना, गर्भ धारण करने में परेशानी होना भी इससे होने वाली एक बड़ी समस्या है. पेटदर्द, बार-बार गर्भपात, सिर के बालों का अधिक झड़ना, मोटापा, गर्भ में छोटी-छोटी गांठ जो की Ultra sound में दिखाती है इसके लक्षण हैं ।अगर इनमें से ज्यादातर समस्याओं से आप ग्रसित है। तो तुरन्त ही जानें कि आपकों पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की परेशानी तो नहीं है। क्योंकि जब तक बीमारी का पता नहीं होगा तब तक उसके निदान की ओर हम आगे कैसे बढ़ेगे।कारण – हमारी कुछ बुरी आदतों के कारण हम खुद इस बीमारी को आंगत्रण देते है । उनमें से पहली बुरी आदत है । हमारा जीवन जीने का तरीका । पैसा कमाने के चक्कर में हम इतना व्यस्त हो गए है कि हमखुद का भी ध्यान नहीं रख पा रहे है । लड़कियां या महिलाएं जब अपने खान-पान का ध्यान नहीं देती तो उनका शरीर कमजोर हो जाता है। साथ ही वह तनाव का भी शिकार हो जाती है । आजकल के जीवन जीने के तरीके देर तक जागना, सुबह देर तक सोना, घुम्रपान, मदिरापान करना आदि । इससे शरीर मे हार्मोनल डिसबैलेन्स होता है। परिणामस्वरूप अनेक बीमारीयां उनमें से एक है पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम ।खान-पान ठीक न होने के कारण हमारे शरीर पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है । आज के आधुनिक युग में फास्ट फूड रेडी टू ईट फूड का प्रचलन बहुत हो गया है। पिज्जा, बर्गर मोमो, चाऊमीन आदि फास्टफूड में तेल की मात्रा बहुत अधिक होती है । जो हमारे शरीर को बहुत नुकसान पहुंचाती है। इस तरह का खराब खान-पान इस बीमारी का दूसरा प्रमुख कारण है।तीसरा और सबसे प्रमुख कारण है “मोटापा अगर महिलाएं मोटी होती है तो उनके शरीर में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन की मात्रा बढ़ती है जो ओवरी में सीस्ट को बनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । तो वजन कम करना यानि इस बीमारी से छुटकारा पाना।निदान – यह कोई लाइलाज बिमारी नहीं है । इस बीमारी को सही किया जा सकता है । लेकिन तब जब लाइफस्टाइल सही हो और खान-पान उस लायक हो। अगर हार्मोन लेवल को बैलेन्स कर लिया जाए तो pcos को दूर किया जा सकता है । महिलाओं तथा लडकियों को इससे बचने के लिए नियमित एक्सरसाइज करनी चाहिए और ऐसे आहार खाने चाहिए जो फैट में कम हो । pcos की जांच के अलावा डाइबीटीज व थाइरायड का टेस्ट भी करवाना आवश्यक है । क्योंकि जो भी महिला तथा लडकी pcos, pcod से पीड़ित होती है उसके डाइबीटीज होने के अवसर बढ़ जाते है और हाई इन्सुलिन लेवल के कारण ओवरी ज्यादा मेल हार्मोन बनाने लगती है । इसकी वजह ये हाई ब्लड प्रेशर हाई कोलेस्ट्रोल व दिल की बिमारी होने की संभावना बढ़ जाती है ।घरेलू उपाय अपने डाक्टर की सलाह व दवाइयां लेने के साथ ही ये उपाय घर पर करें ताकि आप इससे जल्द छुटकारा पा सकें ।1. दालचीनी – ये आपके अनियमित पीरियड की समस्या को दूर करने में बढ़ी मददगार होती है । आप एक चम्मच इसका पाउडर गरम पानी में मिला कर पीलें। चाहें तो मसाले की तरह आप इसे अपने खाने की चीजों में भी ले सकते है। इसका सेवन रोज करें ।2. अलसी – यानि फलैक्ससीड शरीर में एंड्रोजन के स्तर को कम करने के साथ ही, कोलेस्ट्रोल, बी.पी. को भी कम करती है व दिल की बिमारीयों को होने से रोकती है । 1-2 चम्मच ताजी पीसी हुई अलसी को पानी में मिला कर पी लें या इसके बीज को ऐसे ही खाएं ।3. मेथीदाना – ये हार्मोन को संतुलित करना कोलेस्ट्रोल लेवल को कम करने में मदद करता है और साथ ही वजन कम करने में कारगर है । तीन छोटी चम्मच मेथींदाने को पानी में 7-8 घण्टे के लिए भीगो दें । फिर सुबह खाली पेट एक चम्मच भीगे हुए मेथीदाने शहद के साथ मिलाकर खा लें । इसी तरह से एक-एक छोटी चम्मच लंच व डिनर से 10 मिनट पहले भी ले लें ।ध्यान रखने योग्य जरूरी बातें1. वजन कंट्रोल करें – अगर आपका वजन ज्यादा है या तेजी से बढ़ रहा है तो उसे कंट्रोल करें क्योंकि मोटे लोगों में pcos pcod की समस्या गंभीर हो जाती है । वजन कम करने से एंड्रोजन हार्मोन का लेवल व दूसरी समस्याएं भी कम होगी और पीरियड भी नियमित रूप से आने लगेगा । अगर इसके कारण आपको प्रेगनेन्ट होने में दिक्कत आ रही है तो वजन कम करने यह समस्या भी दूर हो सकती है ।2. नियमित व्यायाम करें – अपनी दिनचर्या में एक्सरसाइज को जरूर शामिल करें। किसी भी प्रकार की कसरत नियमित रूप से करें । स्ट्रेस से बचने के लिए प्रणायाम व मेडीटेशन करें। वनज कम करने के साथ-साथ यह शरीर व मन को तनाव मुक्त रखेगा । कुछ योग अभ्यास जैसे अनुलोम विलोम, भ्रामरी प्रणायाम, मेडिटेशन, भद्रासन (बटरफलाई पोस), सूर्य नमस्कार, मुंजग आसन, नौकासन, धनुरासन, चक्वी चलानासन, कपालभाती, पदमासन, शवासन अपनी दिनचर्या में शामिल करने से इस समस्या को साथ-साथअन्य समस्याओं से भी निजात पाया जा सकता है ।3. सही रहन-सहन का चयन करें – धुम्रपान, ऐल्कोहल, कोल्ड ड्रिक्स, जंक फूड, कैफीन आदि इन सभीचीजों से दूर रहें क्योंकि ये शरीर को डिहाइड्रेट (पानी की कमी होना) करती है व दूसरे कई और नुकसान पंहुचाती है। रात को समय से सोकर 7-8 घण्टे की नींद पूरी करके सुबह जल्दी उठकर व्यायाम की आदत बनाएं ।4. खान-पान का रखें ध्यान – खाने में ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर चीजें शामिल करें जैसे अलसी फिश, अखरोट आदि। इसके साथ-साथ अपने खान-पान में विटामिन को भी शामिल करें खासकर विटामिन बी से भरपूर खाद्य पदार्थ को जरूर शामिल करें। होल ग्रेन, नट्स, ताजे फल व सब्जियां अपनी सेज की डाइट में जरूर शामिल करें । दिन में कम से कम 2-3 लीटर पानी जरूर पीएं ।अब इस बीमारी से घबराने की बजाय इसे जानें, सही समय पर जीवनशैली में सही बदलाव करें। अपने खान-पान पर खास ध्यान दें और इसका डट कर मुकाबला करें ।

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