डा0 बृजमोहन शर्मा
जल्दी ही होली आने वाली है। होली रंगों का त्यौहार है इसमें रंगों से सरोबोर होना उत्साह से भर देता है, लेकिन बाजार में बिकने वाले अनेक तरह के रंग होली का मजा खराब कर सकते हैं। ये रंग आँखों और त्वचा के लिए नुक्सानदायक होते हैं। आप अपने घर पर ही रंग बनाकर उनसे होली खेल सकते हैं। यहां कुछ तरह के रंग बनाने की विधियां दी जा रही हैं।
गुलमोहर की हरी पत्तियों को पीसकर हरा रंग बनाया जा सकता है। पुदीना, पालक, धनिया पीसकर पीला रंग पानी के साथ बनाया जा सकता है। हल्दी तथा बेसन मिलाकर उबटन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। कस्तूरी हल्दी का प्रयोग करें जो खुशबुदार है। साथ ही उसमें उपचारात्मक गुण भी है। बेसन में मुल्तानी मिट्टी का पाउडर भी डाल सकते हैं।
अमलतास के फूल, गेंदा तथा पीले रंग की गुलदावरी के फूल भी पीले रंग के लिये प्रयोग में लाये जा सकते हैं। इन्हें पानी में भिगोकर रखें तथा उबाल कर रात भर के लिये छोड़ दें।
लाल चन्दन पाउडर का प्रयोग कर लाल रंग बनायें। अनार के छिलके पानी में उबालने से लाल रंग बनाया जा सकता है। बुरांश के फूलों से लाल रंग बन सकता है। लाल गाजर तथा टमाटर के रस को निकाल कर लाल रंग बनायें।
नील के पौधे पर लगने वाला फल पानी में मिलाकर नीला रंग बना सकते हैं। चुकुन्दर को काट कर उसे एक लीटर पानी में भिगो देने से सुन्दर रानी (मजेन्टा रंग) रंग बनता है। उसे उबाल कर छान ले।?
कचनार के फूल पानी में रात भर भिगोंये तथा उबाल लें अच्छा गुलाबी रंग प्राप्त करें। टेसू या पलाश के फूल रात भर पानी में भिगोकर रखें तथा उबाल लें, केसरिया रंग मिलेगा। पारम्परिक होली में टेसू के फूलों का अपना ही महत्व है। टेसू का फूल मार्च माह में ही खिलता है तथा इसमें कई औषधीय गुण भी हैं। हरसिंगार के फूलों को पानी में भिगोने से नारंगी रंग मिलता है।
Safe and healthy celebration