विधानसभा में उठा मानव-वन्यजीव संघर्ष मुद्दा

राकेश

उत्तराखण्ड में बजट सत्र के दौरान विपक्ष के विधायकों ने मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए सरकार पर रोकथाम में नाकाम रहने का आरोप लगाया। कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश ने वन्यजीवों से आमजन की सुरक्षा के लिये टास्क फोर्स बनाने की मांग उठाई। विधायक भुवन कापड़ी, गोपाल सिंह राणा ने मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर ठोस उपायों की मांग की।

इस पर जवाब देते हुए वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि सरकार ने वन्यजीव हमले में मरने व घायल होने वालों के लिए मुआवजा बढ़ाया है। आमजन की सुरक्षा के लिये हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। इस सम्बन्ध में सरकार जर्मनी के सहयोग से लैंडस्केप डेवलेपमेंट पर भी काम कर रही है। उन्होंने कहा कि बंदरों की समस्या से निपटने के लिए अगले तीन साल में सभी बंदरों का बंध्याकरण करवा दिया जाएगा।

ज्ञातव्य है कि रचनात्मक महिला मंच मानव-वन्यजीव संघर्ष के मुद्दे को लेकर लगातार संघर्षरत है। समूहों की कार्यवाही रजिस्टरों में हर माह यही बात दर्ज हो रही है कि, जंगली जानवरों का आतंक हद से अधिक बढ़ गया है। जिससे ग्रमीणों का जीवन, खेती-बाड़ी, बागवानी और पशुपालन संकट में है। आये दिन बाघ के हमले के कारण किसी-न-किसी व्यक्ति की मौत की खबर आ रही है।

सरकार ने अपना पक्ष रखा है, किंतु सरकार अभी तक इस मुद्दे को लेकर नाकाम रही है। मानव-वन्यजीव संघर्ष लगातार भयावह होता जा रहा है, हाल ही में कार्बेट क्षेत्र में एक बाघिन भी मरी मिली थी। इस सम्बन्ध में सल्ट क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है बंध्याकरण जेसे प्रयोग पहले भी किये जा चुके हैं, जिनका कोई दूरगामी परिणाम नहीं निकला, इसके उलट बन्दर और आक्रामक हो गये। सरकार को इसके लिए कोई ठोस उपाय करने की आवश्यकता है। जिससे आम जनमानस को राहत मिल सके। फिलहाल लोगों की उम्मींदे दम तोड़ रहीं हैं और वे अपने दरवाजों पर ताला लगाकर शहरों का रुख कर रहें हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top