जन चेतना यात्रा

स्वास्थ्य स्वावलंबी उत्तराखंड 15 मार्च-15 जून 2024

हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड जन-स्वास्थ्य पर न सिर्फ प्रति व्यक्ति सबसे कम धनराशि खर्च करता है बल्कि अन्य राज्यों की तुलना में कुल राजस्व खर्च और जीएसडीपी का सबसे कम हिस्सा भी स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च कर रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट (2019-20) के अनुसार जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर (असम को छोड़कर) सहित अन्य हिमालयी राज्यों की तुलना में उत्तराखंड स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करने में सबसे पीछे है।

स्वास्थ्य का अधिकार मानव गरिमा का एक अनिवार्य घटक है और यह सुनिश्चित करना सरकारों का उत्तरदायित्त्व है कि सभी व्यक्तियों के सुरक्षित जीवन के लिये यह अधिकार सभी के लिये सुलभ हो, चाहे उनका लिंग, जाति, जातीयता, धर्म या सामाजिक आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। यह विडम्बना ही है कि स्वास्थ्य का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं माना जाता है परंतु भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 की उदार व्याख्या करें, तो कोई भी स्वास्थ्य के अधिकार को अनुच्छेद 21 के अभिन्न अंग के रूप में शामिल करने का प्रयास कर सकता है, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है।

उत्तराखंड स्वास्थ्य नीति 2020 के ड्रॉफ्ट और जलवायु परिवर्तन पर राज्य की कार्य योजना का विश्लेषण करें तो जलवायु परिवर्तन का उत्तराखंड में लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। लेकिन राज्य में जलवायु परिवर्तन और जन स्वास्थ्य अब तक प्रमुख मुद्दे नहीं बन पाए हैं। जलवायु परिवर्तन मलेरिया, डेंगू, दस्त, हैजा, चिकनगुनिया जैसे वैक्टीरिया जनित संक्रमण उत्तराखंड के लिए कभी भी बड़ी समस्या बन सकते हैं। इससे खाद्य चक्रों में बदलाव और उसकी वजह से भूख और कुपोषण बढ़ने और बच्चों का विकास बाधित होने की संभावना अधिक है। यहाँ वायु प्रदूषण, वेस्ट मैनेजमेंट, पानी की कमी और भूस्खलन जैसे मुद्दे भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। इससे हृदय रोग, सांस संबंधी विकार और एलर्जी जैसी अनेक बीमारियों की संभावना बढ़ गई है। जाहिर है कि इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा प्रभावित होगा। यह उचित समय है जब हमें जन स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति गंभीर रवैया अपनाना चाहिए। हम प्रयास करें कि उत्तराखंड भी केरल और सिक्किम जैसे राज्यों की तरह मजबूत समुदाय स्वास्थ्य प्रणाली को अपना कर विकसित राज्य की कतार में खड़ा हो सके

उत्तराखंड को चिकित्सा सुविधाओं, उपकरणों और स्वास्थ्य सेवा के प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों सहित स्वास्थ्य देखभाल के महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे एवं संसाधनों को बढ़ाने की जरूरत है। इस लक्ष्य को स्वास्थ्य सेवा पर सार्वजनिक व्यय में वृद्धि और स्थानीय सहयोग के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में सुधार के लिये उन बाधाओं को दूर करने की जरूरत है जो व्यक्तियों को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचने से रोकती हैं, जिसमें वित्तीय बाधाएँ, परिवहन और भेदभाव शामिल हैं। स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य समितियों को मजबूत बनाकर, मोबाइल स्वास्थ्य देखभाल इकाइयों आदि के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। बीमारी की निगरानी, प्रमुख गैर-स्वास्थ्य विभागों की नीतियों के स्वास्थ्य प्रभाव पर सूचना एकत्र करने, राष्ट्रीय स्वास्थ्य आँकड़ों के रख-रखाव, सार्वजनिक स्वास्थ्य नियमों को लागू करने और सूचना का प्रसार जैसे कार्यों को करने के लिये एक नामित तथा स्वायत्त एजेंसी बनाने की आवश्यकता है।

ग्रामीण जीवन में स्वास्थ सम्बन्धित मुद्दों की व्यापक समझ प्राप्त करने, स्वास्थ्य चेतना के प्रसार तथा स्वास्थ्य स्वावलंबी कार्यकर्ता के प्रशिक्षण और निर्माण के उद्देश्य से श्रमयोग तथा हेल्थ एजुकेशन आर्ट लाइफ फाउंडेशन (हील) के संयुक्त तत्वधान में अल्मोड़ा जिले के सल्ट विकास खंड में 15 मार्च से 15 जून 2024 तक लगभग 50 गांवों में जन चेतना यात्रा की योजना है। आप सभी से सहयोग की अपेक्षा है।

2 thoughts on “जन चेतना यात्रा”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top