लोक सभा चुनाव का बहिष्कार
अल्मोड़ा सल्ट विकास खण्ड के चाँच न्याय पंचायत में झीपा-टनौला मोटर मार्ग में पि.डब्लू.डी विभाग पिछले 13 वर्षा से डामर करने में असमर्थ रहा है, तथा साथ-साथ पैसिया-झीपा मोटर मार्ग का डामर पूरी तरह से उखड़ गया है और सड़क की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि आये दिन कोई-न-कोई गिर रहा है। सड़क का डामरीकरण न होने से आक्रोशित 11 ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों ने आगामी लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया है। ग्रामीणों ने कहा कि यह पूरी तरह से सरकारों की नाकामी है, चुनावों के समय ही राजनैतिक पार्टियों को हमारी याद आती है। वह पिछले 13 सालों से डामरीकरण की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन के खिलाफ चुनाव बहिष्कार की मुहिम छेड़ दी है। इसके लिए गांव-गांव जाकर अन्य लोगों से भी इस मुहिम में जुड़ने का अनुरोध किया जा रहा है क्योंकि सड़क एक मूलभूत आवश्यकता है, जिसके अभाव में ग्रामीणों का जीवन लगातार मुश्किल होता जा रहा है।
करीब 13 साल पहले 11 ग्राम पंचायतों को जोड़ने के लिए 28 किलोमीटर लंबे झीपा-टनौला मोटर मार्ग का निर्माण डभरा तक किया गया था। उस दौरान कार्यदायी संस्था ने सड़क कटान का काम तो किया लेकिन उसमें सुरक्षा दीवार, पानी की निकासी समेत कई काम अधूरे छोड़ दिए। अतिवृष्टि से सड़क जगह-जगह गड्डों से पट गई और कई जगह भूस्खलन के कारण सड़कों पर मलबा आ गया। मार्ग की हालत इतनी दयनीय है कि इस पर वाहन चलाना जान जोखिम में डालने से कम नहीं है, किंतु विवश ग्रामीण फिर भी इस मार्ग पर चलने को मजबूर हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता परम कांडपाल ने बताया कि ’’मार्ग के सुधारीकरण और डामरीकरण के लिए ग्रामीणों ने डी.एम समेत लो.नि.वि के अधिकारियों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों, सांसद और मंत्रियों तक से कई बार पत्र व्यवहार के माध्यम से संवाद किया है। भारी दबाव के बाद लो.नि.वि अल्मोड़ा के मुख्य अभियंता ने जनवरी 2022 में प्रमुख सचिव को डामरीकरण के लिए 11.30 लाख रुपये का प्रस्ताव भेजा था, जिसे आज तक स्वीकृति नहीं मिल पाई है। इससे ग्रामीणों में सरकार और प्रशासन के खिलाफ आक्रोश है। इसलिए लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया गया है।’’ कांडपाल ने बताया कि ’’गांव-गांव जाकर ग्रामीणों के हस्ताक्षर लेकर सहमति ली जा रही है। जल्द ही ग्रामीणों का हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन एस.डी.एम के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा जाएगा।’’ इधर, ग्राम प्रधान मंजू देवी ने बताया कि ’’सड़क न होने के कारण बीते दिनों एक घायल महिला को एंबुलेंस के गांव तक न आने के कारण अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।’’ आपातकालीन सेवाओं के अलावा खराब सड़क के चलते कोई वाहन चालक भी इस सड़क पर जाने के लिए तैयार नहीं है। जिससे ग्रामीणों को यातायात में भी दिक्कते आ रही हैं। जिसके चलते ग्रामीण अपनी जान हथेली में लेकर टैक्सी के छतों पर जाने के लिए मजबूर हैं। क्षेत्र के स्कूली बच्चों को भी यातायात को लेकर ऐसी ही परेशानीयों का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें अपनी बोर्ड की परिक्षा देने के लिए नैकड़ा-पैसिया इण्टर काॅलेज इसी तरह जाना पड़ रहा है। बहरहाल क्षेत्र की जनता अपनी इस समस्या का जल्द समाधान चाहती है।