कृत्रिम रूप से पके फलों से सावधान!

डॉ. बृजमोहन शर्मा

बाजार से खरीदे गये फल यदि कुछ देर पॉलिथीन की थैली में रह गये हैं, और थैली खोलने पर लगे कि उसमें पसीने जैसा द्रव्य लगा हैं तो, जानिये कि यह फल कृत्रिम रूप से पकाये गये हैं। इसी प्रकार केला बाहर से देखने में सुन्दर पीला होने पर भी अन्दर से मुलायम, सख्त अथवा सड़ा निकलना, ऊपर से पका पपीता खाते समय अन्दर से सूखा लगना, बाहर से देखने पर सुन्दर आम का अंदर से सख्त या गला निकलना, अमरुद ऊपर से पका परन्तु अंदर से बिलकुल सूखा और कच्चा होना यदि आप इन अनुभवों से गुजर चुके हैं तो समझिये कि आप कृत्रिम रुप से पके फल खा रहे हैं।

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफ.एस.एस.ए.आई.) ने फल विक्रेताओं द्वारा फलों को कृत्रिम रुप से पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड के व्यापक उपयोग को संबोधित करते हुए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा चेतावनी जारी की है। एफ.एस.एस.ए.आई. ने कहा है- यह औद्योगिक-ग्रेड रसायन, आर्सेनिक और फास्फोरस जैसी जहरीली अशुद्धियों के कारण स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा करता है। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत प्रतिबंधित होने के बावजूद, इसकी कम लागत और आसान उपलब्धता के कारण कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग प्रचलित है। एफ.एस.एस.ए.आई. का अलर्ट सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए नियमों को लागू करने और फलों को पकाने के लिए सुरक्षित, अनुमोदित तरीकों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर देता है।

असल में प्राकृतिक रूप से पकने की प्रक्रिया के दौरान, फल कई रासायनिक परिवर्तनों से गुजरते हैं जो उनके स्वाद, रंग और बनावट को बदल देते हैं। स्टार्च के शर्करा में टूटने से फल को मीठा स्वाद मिलता है। क्लोरोफिल की कमी के कारण फल की त्वचा का रंग आम तौर पर हरे से लाल, पीले या अन्य रंगों में बदल जाता है, जिससे अन्य रंग अधिक दिखाई देने लगते हैं। स्टार्च व फलों में संग्रहित मुख्य पॉलीसेकेराइड, पकने के दौरान एंजाइमेटिक ब्रेकडाउन और हाइड्रोलिसिस से गुजरता है। यह प्रक्रिया पानी में अघुलनशील स्टार्च को सुक्रोज, ग्लूकोज और फ्रुक्टोज जैसे छोटे, पानी में घुलनशील सैकराइड्स में बदल देती है, जो फल के मीठे स्वाद में योगदान करते हैं। हालाँकि पके फल में अभी भी काफी मात्रा में एसिड होता है, लेकिन इसका खट्टा स्वाद बड़ी मात्रा में मौजूद चीनी के कारण छिप जाता है। कृत्रिम रुप से पके फलों में यह प्रक्रिया नहीं होती।

फलों की कोशिका भित्ति पॉलीसेकेराइड, मुख्य रूप से पेक्टिन से बनी होती है। पकने के दौरान, पॉलीगैलेक्टुरोनेज सहित विभिन्न एंजाइम, इस अघुलनशील पेक्टिन को घुलनशील रूप में परिवर्तित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कोशिका की दीवारें कम दृढ़ हो जाती हैं, जिससे बनावट नरम हो जाती है। कच्चे फलों में उच्च मात्रा में कार्बनिक अम्ल जैसे मैलिक एसिड, साइट्रिक एसिड, एस्कॉर्बिक एसिड और टार्टरिक एसिड होते हैं, जो उन्हें खट्टा स्वाद देते हैं। जैसे-जैसे फल पकते हैं, ये एसिड कम होते जाते हैं, जैसे अमरूद में, जो उनकी कच्ची अवस्था की तुलना में पकी अवस्था में विटामिन सी की मात्रा में कमी दर्शाता है।

कैल्शियम कार्बाइड (Ca C2) भारत सहित दक्षिण एशिया के देशों में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला कृत्रिम रुप से फलों को पकाने वाला एजेंट है। कैल्शियम कार्बाइड, एक औद्योगिक-ग्रेड उत्पाद होने के नाते, इसमें अशुद्धियों के रूप में आर्सेनिक, सीसा कण और फॉस्फोरस हाइड्राइड के अंश होते हैं। ये अशुद्धियाँ इन रसायनों को संभालने वाले श्रमिकों के लिए गंभीर बिमारियां पैदा कर सकती हैं। स्वास्थ्य संबंधी खतरों में बार-बार प्यास लगना, मुंह और नाक में जलन, कमजोरी, त्वचा की स्थायी क्षति, निगलने में कठिनाई, उल्टी और त्वचा पर छाले शामिल हैं। अधिक संपर्क से फेफड़ों में तरल पदार्थ का निर्माण (फुफ्फुसीय एडिमा) हो सकता है। कैल्शियम कार्बाइड द्वारा छोड़ा गया एसिटिलीन न्यूरोलॉजिकल सिस्टम पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, जिससे मस्तिष्क में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है और लंबे समय तक हाइपोक्सिया होता है। यह गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष रूप से खतरनाक है, जिससे सिरदर्द, चक्कर आना, मूड में गड़बड़ी, मानसिक भ्रम, स्मृति हानि, मस्तिष्क शोफ, उनींदापन और दौरे पड़ सकते हैं।

कैल्शियम कार्बाइड की क्षारीय प्रकृति आमाशय क्षेत्र में म्यूकोसल ऊतक को नष्ट कर सकती है और आंतों के कार्यों को बाधित कर सकती है। हालिया रिपोर्टों में कार्बाइड से पके आम खाने के बाद पेट खराब होने के संकेत मिले है। ऐसे फल खाने से नींद संबंधी विकार, मुंह के छाले, त्वचा पर चकत्ते, गुर्दे की समस्याएं और संभवतः कैंसर हो सकता है। विषाक्तता के लक्षणों में दस्त, पेट और छाती में जलन या झुनझुनी, निगलने में कठिनाई, आंख और त्वचा में जलन, गले में खराश, खांसी, सांस की तकलीफ और सुन्नता शामिल हैं।

कृत्रिम रुप से पके फलों के स्वास्थ्य पर प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने के लिए उनके प्रभावों का विश्लेषण करना आवश्यक है। फलों को सुरक्षित पकाने की पद्धतियों को विकसित करने के लिए सरकारी एजेंसियों, नीति निर्माताओं, किसानों, फल विक्रेताओं, वैज्ञानिकों और उपभोक्ताओं की भागीदारी की आवश्यकता है। यदि आप बाजार से फल लाये हैं तो इस्तेमाल करने से पूर्व कम से कम 4 घंटे पानी में पूरी तरह डूबा कर रख दें फिर धोकर नए पानी में आधा घंटा रखें तत्पश्चात इस्तेमाल करेंगे तो कृत्रिम रसायनों का दुष्प्रभाव आपके शरीर पर कम होगा। फिलहाल जागरुकता व बचाव ही इलाज है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top