बाघ का आतंक बढ़ता जा रहा है

साथियो नमस्कार!
आशा करती हूँ आप अपने घर परिवार के साथ कुशल होगें। जनवरी की बैठके अच्छे से हो गई हैं। हमारी क्लस्टर इंर्चाज बहन आसना हर महीने की बैठक में महिलाओं को हर बात से अवगत कराती है। इस बार की बैठकों में उन्होंने महिलाओं को उनके स्वास्थ्य के बारे में बताया और उन्हें अच्छे से समझाया कि अच्छे पोषण के लिये खाना कैसे खाना चाहिए, अपने स्वास्थ्य का ध्यान कैसे देना चाहिए, घुटनों का दर्द क्यों होता है। बहन आसना ने बताया की खाना चबा-चबा कर खाना चाहिए। आजकल जो हमें जो राशन मिल रहा है उसमें खेती के वक्त बहुत से कैमिकल डाले जाते है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। हम अपनी साग बाडियों में जो सब्जी लगाते है उसमें केवल गोबर की खाद डालते है। इसलिए सभी ने अपनी साग बाडियों को नहीं छोड़ना चाहिऐ।

अपने मंच कि बात कहूँ तो इस बार कटरिया गाँव में नया समूह बन गया है। पिछले महीने बहन आसना, भाई सुरेन्द्र सहित हम तीनों गये। हम राधा मोहन भाई के घर में पहुँचे। उन्होंने हमारा आदर सम्मान किया। चाय पिलाई। उसके बाद उन्होंने महिलाओं को फोन करके अपने घर बुलाया। सभी महिलाऐं आई। हमने उन्हें मंच के के बारे में बताया। संगठन की ताकत एवं संगठन के महत्व को भी बताया। उन्होंने बताया कि हमारे गाँव में कई पदाधिकारी आते हैं, समूह बनाने को कहते हैं। लेकिन दुबारा कोई नहीं आता। हमनें उन्हें समझाया हम उन लोगों में से नहीं है। हम जरूर आयेगें। हम तीनों जनवरी 18 तारीख को फिर से कटरिया गाव में पहुँचे। फिर मोहन सिंह भाई के घर मे ही गये सभी महिलाओं ने बैठक की। उन्हें समूह गीत सुनाऐ। सभी खुश हुऐ। सभी ने मंच में जुड़ने का निर्णय लिया। उस गाँव के राधा मोहन भाई ने महिलाओं का साथ देते हुऐ आगे बढ़ने की बात कही।

कटरिया गाँव बहुत दूर है। रास्ता बहुत खराब है। जंगली जानवरों का भी खतरा है। उनका बाजार जालीखान-मौलेखाल ही है। कैसे व¨ राशन व सिलेन्डर ले जाते होगें। हर गाँव की परिस्थिति खराब है। बाघ का आतंक बढ़ता जा रहा है। बाघों का परिवार बढ़ता जा रहा है। बकरियाँ व गाय दिन दहाड़े मारे जा रहे है। रात को हर गाँव मे बाघ की गुर्जना सुनाई दे रही है। लोगों का अकेले घर से बहार निकलना, गाय-भैसों के लिए घास लाना मुश्किल हो गया है। बकरियों को चराना मुसकिल हो गया है।

साथियों हमें संगठन में आगे बढ़ना है और समूहों का ज्यादा से ज्यादा विस्तार करना है। रचनात्मक महिला मंच व श्रमयोग परिवार के भाई-बहनों के संघर्ष से आज रु 4 लाख मुआवजे से रु 6 लाख मुआवजा बढ़ने का शासनादेश जारी हो गया है। यदि हम संगठन में रहे तो वो दिन दूर नही जब सरकार 25 लाख मुआवजा देने को तैयार हो जाऐंगी। इस संघर्ष की सफलता के लिए सभी को बधाई एवं शुभकामनाएँ।

निर्मला देवी, संरक्षक

रचनात्मक महिला मंच

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