सामुदायिक आवाजों को मजबूत करने व सामुदायिक मुद्दों को बहस के केन्द्र में लाने के उद्देश्य से वर्ष 2015 के अप्रैल माह में श्रमयोग पत्र की शुरुआत हुई। तब से लेकर अब तक हम निरंतर श्रमयोग पत्र का प्रकाशन करते आ रहे हैं। आज जब डिजिटल माध्यमों ने ख़बरों की गति को बहुत तेज कर दिया है और आसानी से पाठकों की पहुँच में ला दिया है तब सामुदायिक मीडिया को सशक्त बनाने के लिए डिजिटल माध्यमों का उपयोग जरूरी हो गया है। अतः हम श्रमयोग पत्र को डिजिटल माध्यम से आपके बीच ला रहे हैं।
हम निरंतर देख रहे हैं कि राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय खबरों व विश्लेषणों के बोझ तले सामुदायिक खबरें मुख्यधारा की मीडिया से पूरी तरह गायब हैं। हम महसूस करते हैं कि सामुदायिक आवाजों को उठाने व रखने के मंच बहुत सीमित हैं, ऐसे में सामुदायिक आवाजों को मजबूत करने के लिये सामुदायिक मीडिया को सशक्त करना ही एकमात्र विकल्प है।
समुदायों के आम लोग जिनमें श्रमिक, किसान, महिलाएं, बच्चे व अन्य लोग शामिल हैं, इसके पत्रकार व विश्लेषक हैं। आप भी अपने क्षेत्र व् समुदाय की ख़बरें हमें भेज सकते हैं। श्रमयोग पत्र के माध्यम से सामुदायिक मीडिया को मजबूत करने की जिम्मेदारी हम सबके ऊपर है। आप अपने समुदाय की खबरे हमें info@shramyogpatra.com में भेज सकते हैं। श्रमयोग पत्र के माध्यम से सामुदायिक मीडिया को मजबूत करने की मुहीम जारी है।